5 हजार आदिवासी 25 मार्च को बैतूल कलेक्ट्रेट में करेंगे प्रदर्शन
राष्ट्रपति और राज्यपाल ने गंधार नरेश की तरह आंखों में पट्टी बांध ली है- जामवन्त कुमरे
बैतूल। मध्यप्रदेश में आदिवासी समुदाय की समस्याओं को लेकर 25 मार्च को बैतूल कलेक्ट्रेट में ऐतिहासिक प्रदर्शन होने जा रहा है। इस दिन करीब 5 हजार आदिवासी कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। जयस प्रदेश संयोजक जामवन्त सिंह कुमरे ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर प्रशासन को इसकी सूचना दी है।
आदिवासी समुदाय का कहना है कि राज्य में उन्हें संवैधानिक संरक्षण के बावजूद असुरक्षा महसूस हो रही है। आए दिन उनके अधिकारों का हनन हो रहा है और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है।
राष्ट्रपति और राजपाल आदिवासियो की उपेक्षा कर रहे जबकि उन्हें अनुसूचित क्षेत्रों मे विकास या समस्याओं को लेकर पारित करने और रोक लगाने की पूरी पॉवर है उसके बाद भी आदिवासी क्षेत्रों की उपेक्षा कर सरकार की नीतियों पर गंधार नरेश की तरह आंखों में पट्टी बांध ली है, इसी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए हजारों आदिवासी 25 मार्च को बैतूल में एकजुट होंगे।
ज्ञापन में मंडला जिले की एक घटना का जिक्र किया गया है, जहां जंगल से लकड़ी लाने गए एक आदिवासी मजदूर की गोली लगने से मौत हो गई। आरोप है कि प्रशासन खुद को बचाने के लिए उसे नक्सली बता रहा है, जबकि वह सिर्फ अपनी जरूरत के लिए जंगल से लकड़ी लेने गया था। आदिवासी संगठनों ने इसे प्रशासन की संवेदनहीनता करार दिया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
– तापी मेगा रिचार्ज और मेलघाट अभ्यारण्य विस्तार से हजारों परिवारों पर खतरा
ज्ञापन में तापी मेगा रिचार्ज परियोजना का भी जिक्र किया गया है, जिससे बैतूल और खंडवा जिले की करीब 9 लाख एकड़ भूमि प्रभावित हो रही है। इस परियोजना के कारण 50 गांव पूरी तरह से विस्थापित हो सकते हैं।
• मेलघाट अभ्यारण्य क्षेत्र के विस्तार से भी आदिवासी समुदाय परेशान है। इस विस्तार के चलते भैंसदेही और भीमपुर विकासखंड के 25-30 गांव प्रभावित होंगे, जिससे हजारों लोग अपने पुश्तैनी घरों से उजड़ जाएंगे।
– चिल्लौर-नहरपुर परियोजना भी बनी संकट, 12 गांवों पर विस्थापन की तलवार
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि चिल्लौर-नहरपुर परियोजना के कारण करीब 12 गांव विस्थापन की चपेट में आ रहे हैं। राहुल चौहान ने कहा इन परियोजनाओं से आदिवासियों कि आजीविका छिन जाएगी और उन्हें उजड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
– 5 हजार आदिवासी करेंगे प्रदर्शन
शंभु धुर्वे ने कहा इस महाआंदोलन में करीब 5 हजार आदिवासी शामिल होंगे, जो अपनी मांगों को लेकर राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपेंगे।
द्वारकानाथ उइके ने बताया कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य सरकार को यह बताना है कि आदिवासियों के अधिकारों की अनदेखी अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आदिवासी समाज के वरिष्ठ नेता और जनप्रतिनिधि भी इस आंदोलन में शामिल होंगे। नीतू ककोडिया सरपंच जावरा ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो वे और बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहेंगे, मुख्यमंत्री मोहन यादव के प्रस्ताव को राष्ट्रपति और राज्यपाल पुनः विचार कर आदिवासियों की अस्मिता और आजीविका पर कुठाराघात होने से बचाये।