अब क्या एमडी को ही आना पड़ेगा निरीक्षण करने,एसडीओ तो बचाने में ही लगे है रेंजर को ,लगता है चल रही है गहरी सांठगांठ, रेंजर और एसडीओ में या शामिल है एसडीओ भी खुद इस भृष्टाचार में

 बैतूल – मध्यप्रदेश के बैतूल में आये दिन तेजी से निगम के जंगलों के सफाया किया जा रहा है जिसकी खबर हमारे द्वारा लगातार प्रकाशित की जा रही है पर इस पूरे भृष्टाचार वे मामले में कार्यवाही न किया जाना एसडीओ दिनेश मौर्य को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर रहा है बता दें कि मध्यप्रदेश वन राज्य निगम की रामपुर भतोड़ीं परियोजना मण्डल बैतूल में सागौन प्लांटेशनो का दिन प्रतिदिन सफाया जोरो शोरों से जारी है विभागीय एसडीओ , रेंजर और डिप्टी रेंजर की मिलीभगत से जंगलो का सफाया किया जा रहा है 1 माह बीत जाने के बाद भी आज तक कोई कार्यवाही न किया जाना निगम के जिम्मेदार अधिकारियों पर सवाल खड़ा कर रहा है जबकि इस पूरे मामले को मीडिया द्वारा एमडी के संज्ञान में लाने के बाद भी कोई कार्यवाही अब तक न होना और एसडीओ के संरक्षण में रेंजर और डिप्टी को छुट्टी मंजूर कर देना एसडीओ का भी इस भृष्टाचार में लिप्त होने का संदेह पैदा कर रहा है ताजा मामला चोपना परिक्षेत्र की राजेगांव बीट के कक्ष क्रमांक 483 और हीरापल्ला बीट के कक्ष क्रमांक 327 से सामने आया जहाँ सैकड़ो की संख्या में सागौन की अवैध कटाई की गई है जिसको लेकर एक माह बीत जाने के बाद भी आज तक मौके पर न तो कोई पीओआर किया गया है न कोई कार्यवाही की गई है बीच जंगल मे अतिक्रमण कारियों की झोपड़ियां बड़ी संख्या में बनी हुई है पर मौके पर जाकर एसडीओ द्वारा बनाये गए जांच दल ने लीपापोती ही की है कोई कार्यवाही नही की है जबकि मौके के जीपीएस लोकेशन के साथ फ़ोटो वीडियो भी विभाग को उपलब्ध करवाए गए है लेकिन रेंजर और डिप्टी पर कोई भी विभागीय कार्यवाही न होना कई सवाल खड़े कर रही है वहीं सूत्र बताते है कि हीरा पल्ला में साक्ष्य छिपाने के लिए रेंजर और डिप्टी ने एसडीओ के कहने पर हीरा पल्ला के जंगल मे आग भी लगाई है

अब बड़ा सवाल यह है कि कब एमडी निगम के जंगलों का निरीक्षण करते है और क्या निगम के जंगलों को बचाने में अपनी महती भूमिका निभा पाएंगे या निगम के जंगलों को बेचने का कार्य एसडीओ के संरक्षण में रेंजर और डिप्टी मिलकर करते रहेंगे ।वहीं एसडीओ के जांच दल द्वारा आज तक पीओआर कि रिपोर्ट और जांच संबंधी दस्तावेज डिवीज़न में जमा ही नही किये है जिससे साफ है कि जांच दल मामले की जांच दबाकर बैठा हुआ है ।

निगम में इसी तरह के हालात रहे तो वह दिन दूर नही की बैतूल में निगम के पास जंगल ही नही बचेंगे और आपको यहाँ एक बात और बता दें की चोपना परिक्षेत्र में आज तक जितने भी अतिक्रमण के और अवैध कटाई के मामल हुए है उनमें कोई पीओआर ही नही किया गया और किया भी गया है तो विभागीय कार्यालय में पीओआर की कोई भी कॉपी जमा नही है सारे पीओआर रेंजर और डिप्टी के पास ही रखे है जबकि मासिक बैठक में सभी प्रकरणों की जानकारी डिवीज़न में जमा की जाना अनिवार्य होता है। अब सवाल यह है कि कब निगम के एमडी इस पूरे भ्रष्टाचार के मामले में जांच करने मैदान में उतरेंगे या अपने जांच दल से जांच करवाएँगे या फिर बीजेपी सरकार के मंत्रियों को ही इस पूरे भ्रष्टाचार के मामले में संज्ञान लेकर ऐसे भृष्ट अधिकारी कर्मचारियों पर एक्शन लेना होगा खैर अब देखना यह होगा कि कब प्रदेश के मुखिया इस पूरे मामले में संज्ञान लेकर जांच करवाते है या फिर निगम के ऐसे भृष्ट अधिकारी बैतूल से निगम के जंगल तबाह और बर्बाद करके और डिवीज़न ही बंद करवा देंगे।

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