, हरि भरी नर्सरी हो गई दीमक का शिकार, निगम में लगा है रेंजर के भृष्टाचार के का अंबार,3 रेंज में रहे रेंजर तीनो के नाम पर हजम कर गए शासन के लाखों रुपये ,मामले में एसडीओ दे रहे पूरा साथ भेज दिया रेंजर को छुट्टी पर ,1 माह से छुट्टी पर है रेंजर
बैतूल- मध्यप्रदेश के बैतूल में मध्यप्रदेश वन विकास निगम के जंगलों को जंगल के रक्षक ही भक्षक बनकर जंगलो को बेचने और शासन को लाखों के राजस्व का चूना लगाने का काम धड़ल्ले से कर रहे है पर जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही करने के बजाए रेंजर को बचाने में लगे हुए है ताजा मामला रामपुर भतोड़ीं परियोजना मण्डल बैतूल के परिक्षेत्र पूंजी से सामने आया है जहाँ धपाड़ा नर्सरी जो कि एक समय हरि भरी हुआ करती थी पर रेंजर शुक्ला की निगम में नियुक्ति के बाद से ही 3 रेंज में जहाँ जहाँ रेंजर लोचन शुक्ला रहे है वहाँ के जंगलों में माफियाओ का राज रहा है जंगलो को बेचना और अतिक्रमण करवाना ये सारे काम रेंजर द्वारा लगातार किये जा रहे है वहीं जब वह सुरक्षा समिति अध्यक्ष द्वारा जंगल मे पक्के अतिक्रमण की शिकायत की गई थी तब भी ये रेंजर छुट्टी पर उतर गए थे मामले में जांच आज तक नही हो पाई और कोई कार्यवाही की तो बात ही अलग है यहाँ सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि पीओआर एंट्री रजिस्टर में भी कोई एंट्री ही नही की गई है बता दें कि धपाड़ा नर्सरी के रखरखाव के नाम पर लाखों का बजट रेंजर शुक्ला द्वारा हजम कर लिया गया पर मौके पर सागौन को दीमकों ने शिकार बना लिया है वहीं नर्सरी में अतिक्रमण कारियों का कब्जा हो गया है और आखिरकार यह नर्सरी बंद ही करनी पड़ी वहीं 3 साल पुराने पीओआर आज तक डिविजन में जमा ही नही किये गए और तो और कोर्ट चालान भी नही किया गया जबकि नियमानुसार पीओआर की एक प्रति डिवीजन कार्यलय में जमा किया जाना अनिवार्य होता है पर रेंजर शुक्ला के द्वारा कई पीओआर करके अपने पास ही जमा किये गए है पर डिवीजन में जमा करने की जहमत उठाना उचित नही समझ रहे है इस पूरे मामले की जानकारी एसडीओ को होने के बाद भी कार्यवाही करने की बजाए एसडीओ रेंजर को संरक्षण देने में लगे हुए है उड़ी पूरे मामले के पीओआर एमडी मांग ले तो एक बड़े भृष्टाचार का मामला उजागर होना कोई बड़ी बात नही होगी और रेंजर के छुट्टी जाने के बाद प्राइवेट संस्थाओं के मेडिकल लगाकर फर्जी तरीके से लाखों के मेडिकल का भुगतान भी शान से लिया जा रहा है और छुट्टी पर जाने के बाद भी मेडिकल और वेतन दोनो दिया जाना एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है क्या इस पूरे मामले में उच्चाधिकारियों द्वारा अब संज्ञान लिया जाएगा या फिर रेंजर शुक्ला इसी तरह शासन को लाखों चुना लगाकर मौज मनाते रहेंगे ।