कलमकारों का नकाब होड कर रहा है रेत माफिया
बैतूल जिले के चिचोली क्षेत्र में अवैध रेत परिवहन डंपिंग का खेल धड़ल्ले से जारी है, लेकिन खनिज विभाग इसे देखने में असक्षम नजर आ रहा है। जब हमने इन तिलों के बारे में पता किया तो पता चला कि यह टीलें किसी दिनेश नामक व्यक्ति के है जो इस अवैध कारोबार को खुलेआम अंजाम दे रहा है, लेकिन इन पर खनिज विभाग का दिनेश नहीं पढ़ पा रहा है। यह कोई पहली घटना नहीं है, पहले भी इस क्षेत्र में इसी तरह अवैध रेत खनन और डंपिंग होती रही है, और हमेशा से जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल खड़े होते रहे है।
खनिज विभाग की संदिग्ध भूमिका
खनिज विभाग का काम खनन गतिविधियों पर नजर रखना और अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई करना है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा। जब भी अवैध रेत के भंडारण और परिवहन की शिकायतें मिलती हैं, तो कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई जाती है। चिचोली जैसे इलाकों में लगातार अवैध रेत परिवहन डंपिंग हो रही है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि सरकार को भी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।
*प्रशासन की निष्क्रियता से लगातार बढ़ रही हिम्मत*
परिवहन करने में जैसे खनिज विभाग और पुलिस की साठगांठ हो। चिचोली के चुनघोसाई में प्रतिदिन दर्जनों ट्रालियों को भरा जा रहा है। इसके अलावा नदी नालों से रेत निकालने का अवैध कारोबार जारी है। रेत माफियाओं के अवैध कारोबार में पुलिस और खनिज विभाग का उन्हें पूरा सहयोग प्राप्त है, लेकिन कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं है । इन दिनों नगर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सैकड़ों मकानों का निर्माण का कार्य जारी है, जिस कारण से रेत की मांग बढ़ गई है, जिससे रेत के कारोबारियों की पों बारह है । बिना किसी फिटपास के धड़ल्ले से रेत का अवैध कारोबार करने में लगे है ।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध रेत परिवहन डंपिंग के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते, जिससे ऐसे माफियाओं की हिम्मत बढ़ती जा रही है। अगर प्रशासन ने समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया, तो आने वाले समय में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
रेत माफिया सरकारी आदेश का किस तरह का माखौल उड़ा रहे हैं। इसकी बैतूल जिले में आसानी से देखी जा सकती है। रेत के दाम इतने बढ़ा दिए कि वह गरीबों की पहुंच से लगभग बाहर ही हो गई थी। पलेरा, ओरछा, जतारा क्षेत्र में दिनदहाड़े नदियों से रेत निकालने का गोरखधंधा चल रहा है। प्रशासन की कार्रवाई भी दिखावे भर की होती है। रोक के बावजूद निर्माण कार्यों में रेत का उपयोग किया जा रहा है। जिले में पलेरा और जतारा सबसे अधिक रेत खदान हैं। अंधेरा होते ही इस मार्ग रेत के डंप द्वारा परिवहन किया जाता है। रेत माफिया और ठेकेदार द्वारा रेत का अवैध कारोबार किया जा रहा है। यदि अधिकारियों द्वारा कार्रवाई भी की जाती है तो संबंधित डंप का पिटपास जारी कर दिया जाता है। लेकिन मजे की बात ये है कि चिचोली और आस पास डंप पर लगातार परिवहन के बाद भी रेत कम नहीं हो रही है। ठेकेदार द्वारा सीधे खदान से रेत का परिवहन किया जा रहा है। रेत माफिया बराबर धंधा चमकाने में जुटे हुए हैं। अंधेरा होते ही रेत माफिया सक्रिय हो जाते हैं। शहर में प्रतिदिन एक दर्जन से अधिक डंपर रेत का परिवहन किया जा रहा है।